बुधवार, 15 मई 2013

भड्डरी की कहावतें-1



कातिक सूद एकादसी,
  बादल बिजुली होय |
तो असाढ़ में भड्डरी,
  बरखा चोखी होए ||

कार्तिक शुक्ल एकादशी को यदि बादल हों और बिजली चमके, तो भड्डरी कहते हैं कि आषाढ़ में निश्चय वर्षा होगी |


सूरज तेज सुतेज,
  आड़ बोले अन्याली |
यदि माटी गल जाए,
  पवन फिर बैठे छाली ||
कीड़ी मेले इंड,
  छिड़ी रेट में नहावे |
कांसी कामन दौड़,
  आभलीलो रंग आवे ||
देब्रो डहक बाड़ा चढ़े,
  विसहर चढ़ बैठे बड़ाँ|
पांडिया जोतिस झूठा पड़ें,
  धन बरसैं इतर गुणाँ||

यदि धुप के तेजी बढ़ जाए, बत्तख चिल्लाने लगें, घी पिघल जाए, बकरी हवा के रुख पर पीठ करके बैठे, चींटियाँ अंडे लेकर चलें, गोरैया धुल में नहाए, कांसे का रंग फीका पद जाए, आकाश का रंग गहरा नीला हो जाए, मेढक काँटों की बाड़ में घुस जाएँ और सांप वृक्ष के ऊपर चढ़ कर बैठें, तो घनी वर्षा होगी | ज्योतिष का कथन झूठा हो सकता है, पर ये लक्षण मिथ्या नहीं हो सकते |

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