शनिवार, 18 मई 2013

घाघ की कहावतें-3




ओछो मंत्री राजै नासै
 ताल बिनासे काई |
सान साहिबी फूट बिनासे
 घग्घा पैर बिवाई ||

घाघ कहते हैं कि नीच प्रकृति का मंत्री राजा का, काई तालाब का, फूट मानमर्यादा का और बिवाई पैर का नाश करती है |

आठ कठौती माँठा पीवै 
 सोरह मकुनी खाई |
उसके मरे न रोइए
 घर क दलिद्दर जाई ||

जो आठ कठौत (काठ की परात) भर कर मट्ठा पीता हो और सोलह मकुनी (सत्तू भरी हुई रोटी) खाता हो, उसके मरने पर रोने की ज़रुरत नहीं | वह तो मानो घर का दरिद्र गया |(यह कहावत अत्यधिक भोजन करने वालों पर कटाक्ष है )

आठ गाँव का चौधरी
 बारह गाँव का राव |
अपने काम न आय तौ 
 अपनी ऐसी-तैसी में जाव ||

कोई कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यूँ ना हो अगर वो अपने किसी काम नहीं आता हो उस से क्या लेना देना है |

चोर जुवार गांठकठा
 जार औ नार छिनार |
सौ सौगंधें खायें जौ
 घाघ न करू इतबार ||

घाघ कहते हैं कि चोर, जुआरी, गिरहकट,जार और छिनाल स्त्री, ये सौ सौगंधें खाएं, तब भी इनका विश्वास नहीं करना चाहिए |

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