तीतर बरनी बादरी
बिधवा काजर रेख |वे बरसैं वे घर करें
कहें भड्डरी देख ||
तीतर के पंख की तरह बदली हो और विधवा की आँखों में काजल की रेखा हो तो भड्डरी कहते हैं कि बदली बरसेगी और विधवा दूसरा घर करेगी |
पुरबा बादर पच्छिम जाए
वासे वृष्टि अधिक बरसाए |
जो पच्छिम से पूरब जाए
वर्षा बहुत न्यून हो जाए ||
पूर्व दिशा से यदि बादल पश्चिम की ओर जा रहे हों तो वर्षा अधिक होगी | यदि पश्चिम से बादल पूर्व की ओर जा रहे हों तो वर्षा बहुत ही कम होगी |
रात निर्मली दिन को छाहीं|
कहैं भड्डरी पानी नाहीं ||
रात निर्मल हो और दिन में बादलों की छाया दिखाई दे तो भड्डरी कहते हैं कि अब वर्षा नहीं होगी |
उतरे जेठ जो बोलें दादर |
कहैं भड्डरी बरसैं बादर ||
यदि जेठ उतारते ही मेढक बोलने लगें तो वर्षा जल्दी होगी |
बिधवा काजर रेख |वे बरसैं वे घर करें
कहें भड्डरी देख ||
तीतर के पंख की तरह बदली हो और विधवा की आँखों में काजल की रेखा हो तो भड्डरी कहते हैं कि बदली बरसेगी और विधवा दूसरा घर करेगी |
पुरबा बादर पच्छिम जाए
वासे वृष्टि अधिक बरसाए |
जो पच्छिम से पूरब जाए
वर्षा बहुत न्यून हो जाए ||
पूर्व दिशा से यदि बादल पश्चिम की ओर जा रहे हों तो वर्षा अधिक होगी | यदि पश्चिम से बादल पूर्व की ओर जा रहे हों तो वर्षा बहुत ही कम होगी |
रात निर्मली दिन को छाहीं|
कहैं भड्डरी पानी नाहीं ||
रात निर्मल हो और दिन में बादलों की छाया दिखाई दे तो भड्डरी कहते हैं कि अब वर्षा नहीं होगी |
उतरे जेठ जो बोलें दादर |
कहैं भड्डरी बरसैं बादर ||
यदि जेठ उतारते ही मेढक बोलने लगें तो वर्षा जल्दी होगी |
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