गुरुवार, 16 मई 2013

घाघ की कहावतें-2




चैते गुड़ बैसाखे तेल |
जेठ क पंथ असाढ़ क बेल ||
सावन साग न भादों दही |
कार करेला कातिक माहि ||
अगहन जीरा पूसे धना |
माघे मिसरी फागुन चना ||

चैत में गुड़, बैसाख में तेल, जेठ में राई,आसाढ़ में बेल,सावन में साग, भादों में दही, कुआर में करेला. कार्तिक में मट्ठा, अगहन में जीरा, पूस में धनिया, माघ में मिसरी और फागुन में चना-हानिकारक हैं |

परहथ बनिज संदेसे खेती |
बिन बार देखे ब्याहे बेटी ||
द्वार पराये गाड़े थाती |
ये चारों मिली पीटैं छाती ||

दुसरे के भरोसे व्यापार करने वाला, संदेसा द्वारा खेती करने वाला, बिना वर देखे बेटी की शादी करने वाला और दुसरे के दरवाजे के सामने धरोहर गाड़ने वाला, ये चारों छाती पीट-पीट कर रोते हैं |

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